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Vitamin B12 Deficiency : एक-एक नस को कमजोर कर देगी विटामिन B-12 की कमी, इन चीजों में भरा पड़ा है, खाना करें शुरू

Vitamin B12 Deficiencyहमारे शरीर के लिए हर विटामिन और सभी तरह के मिनरल्स अहम होते हैं, लेकिन इनमें भी कुछ ज्यादा ज़रूरी होते हैं। विटामिन B-12 ऐसा ही बेहद खास विटामिन है जिसकी ज़रूरत गर्भ में पल रहे शिशु से लेकर बड़े होने तक ज़िंदगी के हर पड़ाव पर होती है। ब्रेन के विकास से लेकर नसों के सही तरीके से काम करने तक में इस विटामिन की भूमिका है। इसकी कमी से क्या-क्या परेशानियां हो सकती हैं? इसके बेहतरीन सोर्स कौन-से हैं? विटामिन सप्लिमेंट ज्यादा खा लेने से क्या परेशानी हो सकती है?


किसे कितना चाहिए हर दिन?

  • सामान्य शख्स: 2.4-2.8 mcg
  • प्रेग्नेंट महिला: 2.6 mcg
  • बच्चे को फीड कराने वाली मां: 2.8 mcg
  • सप्लिमेंट में: 500 mcg-1500 mcg
  • इंजेक्शन आमतौर पर: 1000 mcg/सप्ताह या महीना

नोट: सप्लिमेंट लेने की जरूरत तब पड़ती है जब किसी शख्स में इसकी बहुत ज्यादा कमी हो। इस कमी का पता ब्लड टेस्ट से चल जाता है। इसके लिए Vit. B-12 टेस्ट करा सकते हैं। वहीं, इंजेक्शन का फैसला डॉक्टर तब लेते हैं जब यह देखा जाता है कि सप्लिमेंट लेने के बाद भी B-12 का लेवल ठीक नहीं हो रहा है यानि उस शख्स का शरीर सप्लिमेंट के रूप में मौजूद इस विटामिन को जज्ब नहीं कर रहा है।

डाइट, सप्लिमेंट और इंजेक्शन की ज़रूरत कब?


Vitamin B12 Deficiency : एक-एक नस को कमजोर कर देगी विटामिन B-12 की कमी, इन चीजों में भरा पड़ा है, खाना करें शुरू

डाइट से: अगर बिना सप्लिमेंट के नॉर्मल स्तर रहे तो अलग से कुछ लेने की ज़रूरत नहीं।

सप्लिमेंट से: डाइट से पूर्ति न हो पा रही हो, कुछ लक्षण उभर रहे हों और लेवल 100 pg/ml से कम होने लगे। इंजेक्शन से: जब B-12 का स्तर कम होते हुए 50 pg/ml से भी नीचे चला गया हो और बड़े लक्षण उभर रहे हों। कई डॉक्टर मरीज की स्थिति को देखते हुए इस स्तर से पहले भी सप्लिमेंट या इंजेक्शन के लिए कह सकते हैं। यहां ध्यान दें कि सप्लिमेंट और इंजेक्शन डॉक्टर की सलाह से ही लें।

ज्यादा विटामिन B-12 से परेशानी भी

कई लोग ब्लड टेस्ट कराए बिना ही सप्लिमेंट शुरू कर देते हैं। यह गलत है। अगर किसी के खून में B-12 का स्तर सही है तो उसे सप्लिमेंट या इंजेक्शन लेने की ज़रूरत नहीं है। वह डाइट से इसे बैलंस करने की कोशिश कर सकता है। दरअसल, अतिरिक्त B-12 को या तो शरीर लिवर में स्टोर कर लेता है या फिर यूरिन के ज़रिए बाहर कर देता है। फिर भी यह मुमकिन है कि ज्यादा सप्लिमेंट लेने से इसका स्तर बढ़ जाए। ऐसे में कुछ लक्षण उभर सकते हैं, जैसे- लूज़ मोशंस हो सकते हैं, सिर दर्द की लगातार परेशानी या कोई एलर्जी हो सकती है।

वैसे तो कार्बोहाइड्रेट्स ( रोटी, चावल आदि), प्रोटीन (पनीर, चिकन, एग आदि) और फैट (घी, बटर आदि) की तुलना में शरीर को विटामिन की ज़रूरत बहुत कम मात्रा में होती है, लेकिन इसकी कमी से कई बड़ी परेशानियां हो जाती हैं। इसलिए इसके लिए यह लाइन सही बैठती है कि 'देखन में छोटे लगै, घाव करें गंभीर'। हमें करीब 13 तरह के विटामिन की ज़रूरत होती है। इनमें विटामिन B-कॉम्प्लेक्स का नाम खास है। विटामिन B-12 जिसे सायनोकोबालामिन/मिथाइलकोबालामिन (Cyanocobalamin/Methylcobalamin) भी कहते हैं, यह विटामिन B-कॉम्प्लेक्स सीरीज़ का आखिरी विटामिन है, लेकिन सेहत के लिए अहम कड़ी।

विटामिन B-कॉम्प्लेक्स 8 तरह के होते हैं: 1. B1, 2.B2, 3.B3, 4.B5, 5. B6, 6.B7, 7.B9 और विटामिन-B12। पानी में घुलने के आधार पर सभी विटामिन को 2 कैटिगरी में बांटा जा सकता है।

1. पानी में घुलनशील: विटामिन-B और विटामिन-C। इसलिए इन विटामिनों को शरीर अमूमन स्टोर नहीं कर पाता। इसलिए हर दिन की डाइट में शामिल करना चाहिए। आलू, भिंडी, परवल, घीया आदि को काटकर धोने या ज्यादा फ्राई आदि करने से इसलिए मना किया जाता है क्योंकि इनमें मौजूद विटामिन-B कॉम्प्लेक्स (सिर्फ विटामिन B-12 को छोड़कर) और विटामिन C पानी में घुलकर या ज्यादा फ्राई करने से भी बर्बाद हो जाते हैं। इसलिए ऐसी सब्जियों को धोने के बाद ही काटना चाहिए।

2. पानी में न घुलने वाले विटामिन: ये हैं A. D, E और K। जो पानी में नहीं घुलते। ये अमूमन फैट में घुल जाते हैं।

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B-12 की कमी से बड़ी परेशानियां

  • यह विटामिन दूसरे विटामिनों की तरह शरीर में तैयार नहीं होता। इसका सोर्स हमारी डाइट ही है। इसलिए सही डाइट अहम है।
  • यह हमारे शरीर की कोशिकाओं के जेनेटिक मटीरियल DNA और RNA के निर्माण में मदद करता है। अगर इस विटामिन की कमी होती है तो कोशिकाएं सही से विभाजित नहीं हो पातीं। इससे शरीर में RBC (रेड ब्लड सेल्स) यानी खून की कमी होने लगती है। इस स्थिति को मेगालोब्लास्टिक एनीमिया (megaloblastic anemia) कहते हैं। इसमें RBC की संख्या कम हो जाती है, लेकिन अविकसित RBC का आकार बड़ा हो जाता है। ऐसे में खून अपना काम नहीं कर पाता।
  • इस एनीमिया में ब्लड सही तरीके से ऑक्सीजन को दूसरे अंगों तक नहीं पहुंचा पाता। इससे कई तरह की परेशानियां होती हैं। दूसरे अंग सही तरीके से काम नहीं कर पाते।
  • यह विटामिन हमारे नर्वस सिस्टम (तंत्रिका तंत्र यानी नसों) के लिए बेहद ज़रूरी है। यह ब्रेन के लिए भी अहम है और हमारे स्पाइनल कॉर्ड (रीढ़ की हड्डी के साथ मौजूद नर्व सेल) के लिए भी। इसकी कमी से नर्व्स (तंत्रिका कोशिका) के ऊपर जरूरी myelin sheath (माइलिन शीथ) की परत कमजोर हो जाती है। इससे शरीर में संवेदना में कमी, सुन्नपन, झनझनाहट, कमजोरी, भ्रम, चक्कर, मांसपेशियों में दर्द जैसी समस्या हो जाती है।
  • यह शरीर में एनर्जी के प्रोडक्शन के लिए भी अहम है। इसकी कमी से जल्दी थकान और कमजोरी आ जाती है।
  • ऐसा देखा गया है कि विटामिन B-12 की कमी से डिमेंशिया (भूलने की बीमारी) के लक्षण भी दिखने लगते हैं। डिप्रेशन जैसे लक्षण भी उभर सकते हैं।
  • बैलंस बिगड़ने की स्थिति बन सकती है। इससे चलने में परेशानी हो सकती है।
  • कई लोगों में जब इस विटामिन की कमी होती है तो वे वॉशरूम में मुंह धोने के दौरान आंखें बंद करते ही बैलंस नहीं बना पाते और गिर जाते हैं। इसे वॉशबेसिन अटैक भी कहा जाता है।
  • प्रेग्नेंसी में भ्रूण विकास में B-12 और फोलेट (यह विटामिन B-9 का ऐक्टिव रूप है जो हरी सब्जियों में मिलता है) दोनों जरूरी होते हैं ताकि न्यूरल ट्यूब डिफेक्ट्स (नसों से जुड़ी बीमारी) न हों। सीधे कहें तो गर्भ में पल रहे बच्चे का ब्रेन विकसित होने में भी इस विटामिन की अहम भूमिका होती है।
  • बालों, स्किन आदि की मरम्मत के लिए भी जरूरी है।

विटामिन B-12 के सोर्स

दूध, दही, पनीर, भुना हुआ चना, गाजर, चुकंदर, मशरूम, पालक, आलू, संतरा, अनार, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ का विकल्प है। वैसे भी B-12 की हर दिन की ज़रूरत 2.4-2.8 माइक्रोग्राम ही है। ऐसे में इन को हर दिन या इनमें से एक या दो को हर दिन डाइट का हिस्सा बनाने पर B-12 कि कमी नहीं होती, लेकिन शर्त यह है कि उनका पाचन तंत्र सही हो। शरीर सही तरीके से पोषक तत्वों को जज्ब करता हो।

ध्यान देने वाली बात यह है कि जब हम B-12 को सप्लिमेंट के फॉर्म में लेते हैं तो वह सायनोकोबालामिन होता है। इसकी वजह यह है कि यह सस्ता होता है। शरीर पहले इसे मिथाइलकोबालामिन में बदलता है और फिर इस्तेमाल करता है। वहीं, जब हम कुदरती रूप वाला (दूध, दही, पनीर, भुना हुआ चना, गाजर, चुकंदर, मशरूम, पालक, आलू, संतरा, अनार, फोर्टिफाइड खाद्य पदार्थ आदि) B-12 खाते हैं तो हमें सीधे मिथाइलोकोबालामिन मिल जाता है। शरीर को इसे बदलने की जरूरत नहीं होती।

सोर्स B12 की मात्रा (mcg)/100 ग्राम में

वेज

  • गाय का दूध 0.4-0.5
  • दही 0.4
  • पनीर 0.4-1.5
  • न्यूट्रिशनल यीस्ट 4-5, यह फोर्टिफाइड होता है यानी इसमें बाहर से B-12 जोड़ा जाता है।

न प्लांट और न कोई एनिमल, इसे बनाता है बैक्टीरिया!


Vitamin B12 Deficiency : एक-एक नस को कमजोर कर देगी विटामिन B-12 की कमी, इन चीजों में भरा पड़ा है, खाना करें शुरू

इसे बनाने में बैक्टीरिया की क्या भूमिका है?

इस विटामिन की एक बड़ी खासियत है कि इसे न तो पौधे बना सकते हैं, न कोई जानवर और न इंसान का शरीर। इसे बनाता है बैक्टीरिया। सीधे कहें तो इस विटामिन के लिए हम पूरी तरह बैक्टीरिया पर ही आश्रित हैं। इस तरह के बैक्टीरिया फर्मेंटेड (जैसे दूध से दही बनाने वाले बैक्टीरिया आदि) उत्पादों में ज्यादा मिलते हैं। कुछ बैक्टीरिया जो मिट्टी और पानी में पाए जाते हैं, वे कुछ मात्रा में B-12 का निर्माण करते हैं। दरअसल, B12 का बनना एक बहुत जटिल प्रक्रिया है जिसमें करीब 30 से ज्यादा एंजाइम काम करते हैं। एक स्टडी में यह बात सामने आई है कि हमारे शरीर में भी इस तरह के बैक्टीरिया बड़ी आंत में मौजूद होते हैं। बड़ी आंत में अवशोषण बहुत कम होता है। शरीर में ज्यादातर पोषक तत्वों का अवशोषण छोटी आंत में होता है। इसलिए शरीर बड़ी आंत में बनाए गए इस विटामिन को जज्ब नहीं कर पाता और यह शरीर से बाहर चला जाता है।

B-12 कम होने की 8 वजहें


Vitamin B12 Deficiency : एक-एक नस को कमजोर कर देगी विटामिन B-12 की कमी, इन चीजों में भरा पड़ा है, खाना करें शुरू

1. डाइट

कई लोग यह मानते हैं कि सीड्स, नट्स आदि खाने से इसकी पूर्ति हो जाती है, जबकि ऐसा नहीं है। ये दूसरे विटामिन और मिनरल्स के अच्छे सोर्स होते हैं पर इनमें B-12 न के बराबर होता है। वहीं, मौसमी हरी सब्जियों, फलों आदि में भी इसकी मौजूदगी न के बराबर होती है। सब्जियों और फलों में फाइबर व दूसरे विटामिन अच्छी मात्रा में होते हैं। इन्हें खाने से हमारा डाइजेशन अच्छा होता है जो आखिरकार B-12 को सही तरीके से जज्ब होने में भूमिका निभाता है। इसलिए हमें यह देखना चाहिए कि क्या हम इस विटामिन का सोर्स सही तरीके से ले रहे हैं या नहीं।

2. शरीर का जज्ब न कर पाना:- कई लोगों की यह शिकायत रहती है कि पिछले 2-3 महीनों से B-12 का सप्लिमेंट ले रहा हूं, लेकिन ब्लड रिपोर्ट में सुधार ही नहीं दिखता। दरअसल, इसकी वजह है हमारे शरीर द्वारा सही तरीके से पोषक तत्वों को जज्ब यानी अवशोषण न कर पाना। ऐसे लोगों में सिर्फ B-12 की कमी ही नहीं दिखेगी।

3. गलत खानपान:- वैसे तो यह कई परेशानियों की जड़ है, लेकिन B-12 की कमी की बड़ी वजह है। आजकल हमारी डाइट में हेल्दी फ्रूट्स, सब्जियां आदि शामिल हों या न हों, जंक फूड, पैक्ड फूड जरूर शामिल हो जाता है। बर्गर, मोमो, नूडल्स, पिज्जा के बिना शायद ही कोई हफ्ता निकलता हो। इसी तरह प्रोसेस्ड या अल्ट्रा प्रोसेस्ड फूड हमारी पाचन शक्ति को सीधे कमजोर करते हैं। मसलन: मैदा, चीनी, रिफाइंड ऑयल आदि। जहां तक पैक्ड फूड की बात है तो चिप्स, कुरकुरे, नमकीन, बिस्कुट आदि सभी खा रहे हैं। इन्हें खाने से क्षण भर का स्वाद जरूर मिलता है, लेकिन इसका असर आगे चलकर खराब सेहत के रूप में सामने आता है।

4. हमारी लाइफस्टाइल:- अगर लाइफस्टाइल सही नहीं होगी यानी हम 6 से 8 घंटे की गहरी नींद नहीं लेंगे, फिजिकल ऐक्टिविटी नहीं करेंगे, स्ट्रेस में रहेंगे तो इसका असर भी हमारे पाचन और शरीर की जज्ब करने की क्षमता पर सीधा पड़ता है। इसलिए अच्छी नींद के लिए हर दिन 30 से 40 मिनट का ब्रिस्क वॉक और स्ट्रेंथ एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए।

5. गैस की दवाएं

शुगर पेशंट हों या फिर कोई दूसरे मरीज, पेट में गैस कम बने, इसलिए वे एंटासिड दवा खाते हैं। इससे गैस कम तो हो जाती है, लेकिन नुकसान भी होता है। यह जानना चाहिए कि विटामिन B-12 समेत दूसरे फूड आइटम के पाचन के लिए पेट में सही मात्रा में एसिड बनना जरूरी है। जब कोई एंटासिड खाता है तो एसिड कम निकलता है। अगर इस दौरान अगर B-12 का सप्लिमेंट या B-12 वाला खाना लिया है तो स्वाभाविक है कि शरीर को सही मात्रा में यह विटामिन नहीं मिलेगा। इसलिए यह जरूरी है कि एंटासिड लेने से कम से कम 2 घंटे पहले या फिर 2 घंटे बाद ही इसका सेवन करें। इनके साथ भी लेने से बचें: विटामिन-C सप्लिमेंट या संतरा, नीबू पानी आदि जूस के साथ। इससे भी यह विटामिन कम मात्रा में जज्ब होता है। इसके अलावा ऐंटिबायोटिक्स के साथ भी लेने से बचना चाहिए।

6. मोटापा कम करने वाली सर्जरी की वजह से:- यह सच है कि बेरियाट्रिक सर्जरी की वजह से भी B-12 का लेवल कम हो सकता है। दरअसल, हमारे शरीर में विटामिन B-12 के जज्ब होने के लिए एक खास तरह के प्रोटीन की जरूरत होती है जो पेट की अंदरूनी परत का हिस्सा होता है, इसे इंट्रिन्सिक फैक्टर (IF) कहते हैं। इसी प्रोटीन से जुड़ने के बाद B-12 को शरीर जज्ब कर पाता है। अगर किसी बीमारी की वजह से या बेरियाट्रिक सर्जरी (वजन कम करने वाली सर्जरी ) की वजह से पेट का वह हिस्सा या तो निकाल दिया जाए या फिर बाईपास कर दिया जाए या हो जाए तो B-12 का अवशोषण नहीं हो पाता।

7. लैक्टोज इंटॉलरेंसलैक्टोज:- दूध में मिलने वाला एक तरह का ग्लूकोज (कार्बोहाइड्रेट) है। कुछ लोगों को लैक्टोज यानी दूध और दूध से बने उत्पाद, जैसे: दही, प्रोटीन आदि को पचाने में परेशानी होती है क्योंकि ऐसे लोगों में लैक्टेज एंजाइम की कम होता है या नहीं होता। लैक्टेज एंजाइम ही लैक्टोज को पचाने का काम करता है। किसी शख्स में लैक्टेज एंजाइम की कमी के कई लक्षण हो सकते हैं। जैसे- दूध या दूध से बने उत्पाद खाने के बाद उस शख्स के पेट में गैस बनने लगती है और पेट फूल जाता है, उसे लूज मोशंस या उलटी हो सकती है, पेट में मरोड़ हो सकती है आदि। इन परेशानियों की वजह से वह शख्स डेयरी प्रोडक्ट खाना बंद कर देता है। इसमें दही, छाछ सभी शामिल होते हैं। इस तरह डेयरी प्रोडक्ट से मिलने वाला B-12 का रास्ता बंद हो जाता है। ऐसे में उस शख्स को साल में एक बार अपना ब्लड टेस्ट कराकर देखना चाहिए और उसी अनुसार डॉक्टर की सलाह से सप्लिमेंट लेने चाहिए।

8. अल्कोहल और स्मोकिंग:- इस आदत से निकलने में ही भलाई है। ऐसा देखा जाता है इन दोनों की लत की वजह से B-12 का अवशोषण काफी धीमा हो जाता है। इसलिए सप्लिमेंट आदि लेने के बाद भी कई लोगों को इसका ज्यादा फायदा नहीं होता। ऐसे में इनके लिए इंजेक्शन ही बढ़िया विकल्प रहता है। एक तरफ अल्कोहल की वजह से इंट्रिन्सिक फैक्टर (IF) पर असर पड़ता है। इससे विटामिन का अवशोषण कम हो जाता है। वहीं, दूसरी तरफ स्मोकिंग की वजह से अवशोषण पर सीधा असर पड़ता है।

इमरजेंसी के लिए लिवर में होता है स्टोर:- विटामिन B-12 को छोड़कर हमारे शरीर में पानी में घुलने वाला कोई भी विटामिन स्टोर नहीं होता, चाहे वह विटामिन B-ग्रुप का हो या फिर विटामिन-C हो। इसी से पता चलता है कि यह विटामिन हमारे लिए कितना ज़रूरी है। कुदरत को यह पता है कि इसकी कमी से शरीर काे बड़ा नुकसान हो सकता है, इसलिए यह लिवर में स्टोर होता है। यह कई महीनों से लेकर कुछ बरसों तक वहां जमा रह सकता है। यह इमरजेंसी स्टोरेज की तरह है। जब शरीर को लंबे समय तक डाइट से B-12 नहीं मिलता तो इमरजेंसी की स्थिति यानी DNA, RNA आदि में जेनेटिक मटीरियल बनाने में, नर्वस सिस्टम के सुचारू रूप से काम करने के लिए लिवर में स्टोर हुए इस विटामिन का इस्तेमाल होता है। जब स्टोर किए गए विटामिन B-12 का उपयोग भी लगातार होता रहता है, लेकिन हम डाइट से इसकी पूर्ति नहीं करते तब इसकी कमी के लक्षण दिखने लगते हैं। लेकिन ये लक्षण दिखने में भी कई साल लग जाते हैं।

एक्सपर्ट पैनल

  • डॉ. एम.वी. पद्मा श्रीवास्तव, चेयरपर्सन, न्यूरॉलजी, पारस हॉस्पिटल
  • डॉ. दलजीत सिंह, VC एंड हेड न्यूरो सर्जरी, MAX स्मार्ट
  • परमीत कौर, चीफ डाइटिशन, AIIMS
  • डॉ. बिंदिया गुप्ता, Ob-Gyne, GTB हॉस्पिटल
  • डॉ. अंशुल वार्ष्णेय, सीनियर कंसल्टेंट, फिजिशन
  • नीलांजना सिंह, सीनियर डाइटिशन

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। mangogalaxy Website इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें।


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